श्‍याम \भजन \- हार जाता हूं

हार जाता हूं मैं हार जाता हूं.… हर बार मैं खुद को लाचार पाता हूं, तेरे रहये क्यूं बाबा मैं हार जाता।। हर कदम क्या यूं ही मैं ठोकर खाऊंगा, बस इतना कह दे श्याम कभी जीत ना पाऊंगा, तेरी चौखट पे मं क्या बेकार आता हूं.... हर बार मैं खुद को लाचार पाता हूं।। क्यूं अपने वादे को तू भूला बिसरा है, हारा हुआ ये प्राणी चरणो मे पसरा है, तेरा वादा याद दिलाने तेरे द्वार आया हूं... हर बार मैं खुद को लाचार पाता हूं।। मेरे साथ खड़ा हो जा बस इतना ही चाहूं, जीवन कि बाजी फिर मैं हार नही पाऊं, अरमां ये हर्ष लिये हर बार आता हूं... हर बार मैं खुद को लाचार पाता हूं। तेरे रहते क्यूं बाबा मैं हार जाता हूं।।

एक कहानी


एक कहानी



बड़ी खूबसूरत कहानी लिखी है,
किसी ने मेरी ज़िंदगानी लिखी है || 
लिखा है जो बचपन कि नादानियों को,
बनाया खिलौना उन कहानियो को,
वो माँ की थपकी लिखी है जो उसने,
वो लोरी की ममता लिखी है जो उसने,
मै कैसे बताऊ कैसी लिखी है,
बड़ी खूबसूरत कहानी लिखी है,
किसी ने मेरी ज़िंदगानी लिखी है || 

वो लिखा है मेरी बहना का प्यार,
वो भैया से होती मेरी तकरार,
वो  स्कूल के मेरे दोस्ती के किस्से,
वो टीचर से मिलती हुई मार,
कैसे बताऊ वो दिन भी क्या दिन थे,
अब कैसे बताऊ वो कैसे लिखी है,
बड़ी खूबसूरत कहानी लिखी है,
किसी ने मेरी ज़िंदगानी लिखी है || 

वो मेरे पहले प्यार की नादानियों को लिखना,
उसे मिलने के हर जतन को लिखना,
वो लिखना रातो उसके घर जाने को,
वो उसकी गलियों की खुशबु को लिखना,
वो उसको लेकर दूर  निकल जाना शहर  से,
मोहब्बत भरी दांस्ता थी जो मेरी,
उसी को तो अपनी जुबानी लिखी है,
बड़ी खूबसूरत कहानी लिखी है,  
किसी ने मेरी ज़िंदगानी लिखी है ||  
बड़ी खूबसूरत कहानी लिखी है,
किसी ने मेरी ज़िंदगानी लिखी है || 

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