श्‍याम \भजन \- हार जाता हूं

हार जाता हूं मैं हार जाता हूं.… हर बार मैं खुद को लाचार पाता हूं, तेरे रहये क्यूं बाबा मैं हार जाता।। हर कदम क्या यूं ही मैं ठोकर खाऊंगा, बस इतना कह दे श्याम कभी जीत ना पाऊंगा, तेरी चौखट पे मं क्या बेकार आता हूं.... हर बार मैं खुद को लाचार पाता हूं।। क्यूं अपने वादे को तू भूला बिसरा है, हारा हुआ ये प्राणी चरणो मे पसरा है, तेरा वादा याद दिलाने तेरे द्वार आया हूं... हर बार मैं खुद को लाचार पाता हूं।। मेरे साथ खड़ा हो जा बस इतना ही चाहूं, जीवन कि बाजी फिर मैं हार नही पाऊं, अरमां ये हर्ष लिये हर बार आता हूं... हर बार मैं खुद को लाचार पाता हूं। तेरे रहते क्यूं बाबा मैं हार जाता हूं।।

26/2/2019



पाक के नापाक इरादो पर,
आज फिर ललकार हुई,
 आज फिर हिन्‍द के वीरो कि,
दुनिया में जयकार हुई,


जब वीरो ने वीरो का,
प्रतिशोध लिया है कायर से,
तब वीरो को उनके हक का,
सम्‍मान मिला है वीरो से,

आज हिन्‍द के वीरो ने,
जब अपने पंख फैलायें है,
उस कायर दुशमन को,
घर में घुसकर मार के आये है,

हम उस मां के लाल है जो, दुश्‍मन के सीने पर हमला करते है,
ना कोई नापाक इरादे, ना बदले कि भावना रखते है,
लेकिन जब कोई छेडे हमको, तो 40 के 400 जेब में रखते है,
और शान्ति अमन के लिए, विविधता में एकता रखते है,
पाक के नापाक इरादो को कुचलने का मादा रखते है।।

✍अंशुल अग्रवाल

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