श्‍याम \भजन \- हार जाता हूं

हार जाता हूं मैं हार जाता हूं.… हर बार मैं खुद को लाचार पाता हूं, तेरे रहये क्यूं बाबा मैं हार जाता।। हर कदम क्या यूं ही मैं ठोकर खाऊंगा, बस इतना कह दे श्याम कभी जीत ना पाऊंगा, तेरी चौखट पे मं क्या बेकार आता हूं.... हर बार मैं खुद को लाचार पाता हूं।। क्यूं अपने वादे को तू भूला बिसरा है, हारा हुआ ये प्राणी चरणो मे पसरा है, तेरा वादा याद दिलाने तेरे द्वार आया हूं... हर बार मैं खुद को लाचार पाता हूं।। मेरे साथ खड़ा हो जा बस इतना ही चाहूं, जीवन कि बाजी फिर मैं हार नही पाऊं, अरमां ये हर्ष लिये हर बार आता हूं... हर बार मैं खुद को लाचार पाता हूं। तेरे रहते क्यूं बाबा मैं हार जाता हूं।।

श्‍याम \भजन - तुम्हारे सिवा कुछ ना चाहत करेंगे,

तुम्हारे सिवा कुछ ना चाहत करेंगे,
कि जब तक जीयेगें मोहब्बत करेंगे।।

नजर चाहती है दिदार करना,
ये दिल चाहता है तुम्हे प्यार करना,
तुम्हारी वफा में डूबे रहे हम,
है क्या हाल दिल का, ये कैसे कहे हम,
महकने लगेगा... ओ...ओ...
महकने लगेगा ये जीवन हमारा,
हम तुमको ऐसे रिझाया करेंगे,
तुम्हारे सिवा....

तुम्हे अपने दिल में बसायेंगे मोहन,
दरबार के काबिल बनायेगें मोहन,
अगर तुम ना मिलते तो हम जी ना पाते,
किसे अपना कहते कहां दिल लगाते,
रूठे जमाना, या ये जग भूला दे,
कि अब हम तुम्हारी इबादत करेंगे।।
तुम्हारे सिवा कुछ.....

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